यदि मंजिलें हैं, तो हमें विश्वास करना चाहिए कि रास्ते भी होंगे ही। फिर जब रास्ते होते ही हैं, तो मंजिलों तक पहुँचा भी जाता होगा। भले ही सभी राहगीर न पहुँचे, लेकिन कोई न कोई, कुछ न कुछ लोग तो वहाँ पहुँचते भी होंगे। इनमें एक आप भी हो सकते हैं।
जैसा कि अधिकांश लोग सोचते हैं, वस्तुतः मंजिलें कठिन नहीं हुआ करती हैं, रास्ते भी कठिन नहीं होते हैं, वह हम हैं, जो इन्हें कठिन बना देते हैं, दो तरह से। पहला रास्ते को ठीक से न जानकर और दूसरा यह न जानकर कि उस रास्ते पर चलना कैसे चाहिए।
डॉ०विजय अग्रवाल की बेस्ट सेलिंग बुक ‘आप आई.ए.एस. कैसे बनेंगे’ के बाद उसी क्रम की यह अगली पुस्तक है। इसका भाग-एक जहाँ आपको आई.ए.एस. की मंजिल तक पहुँचने का रास्ता दिखाती है, वहीं यह पुस्तक भाग-दो आपकी उंगली पकड़कर आपको कदम-दर-कदम बताती है कि आपको चलना कैसे चाहिए। इस प्रकार यह पुस्तक आपकी मंजिल को आसान बनाती है।
इसमें आपको क्या-क्या मिलेगा, बेहतर होगा कि आप मिनट लगाकर इसके विषय-क्रम पर एक निगाह मार लें। पक्का है कि आपको इससे प्यार हो जायेगा।
sir aap ias kese banenge part 1 bhi upload kardo if you have.
ReplyDeletePlease upload the 1 part of this book
ReplyDeleteThanks a lots sir for this book
ReplyDeleteThank you sir
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